लक्ष्मी योग में रखा जाएगा हरतालिका तीज व्रत, जाने कब होगा शुभ मुहूर्त व महत्व

तीज त्योहार तृतीया तिथि सोमवार को दोपहर 12:34 से शुरू होगी मंगलवार को दोपहर 1:54 मिनट तक रहेगी

लखनऊ । इस साल चंद्र-मंगल के संयोग से बने लक्ष्मी योग में हरतालिका तीज महाव्रत मंगलवार को रखा जाएगा। यह पूरे दिन का निर्जला व्रत होता है। दूसरे दिन सूर्योदय के बाद पूजा करके व्रत का पारण किया जाता है। हिंदी कलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका अनुसार हरतालिका तीज का व्रत तीज व्रत रखा जाता। मान्यता है कि मंगलवार को रखा जाएगा। इस पौराणिक काल में माता पार्वती ने साल चन्द्रमा हस्त नक्षत्र और भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त कन्या राशि में रहेगा ।

कन्या राशि करने के लिए इस व्रत को किया था। में मंगल के होने से चंद्र- मंगल पति की लंबी आयु और सुख-सौभाग्य का लक्ष्मी योग बनेगा। इसके के लिए सुहागिन महिलाएं इस व्रत का अलावा सुबह से लेकर दोपहर अनुष्ठान करती हैं। कहीं-कहीं कुंवारी 12 बजकर 9 मिनट तक साध्य कन्याएं भी सुयोग्य वर प्राप्त करन के योग, दोपहर 12 बजकर 9 मिनट लिए यह व्रत रखती हैं। से दूसरे दिन दोपहर तक शुभ अलीगंज स्थित स्वास्तिक ज्योतिष योग और रवि योग मंगलवार को केंद्र के ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल पूरे दिन रहेगा। उन्होंने बताया ने बताया कि तृतीया तिथि सोमवार कि ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट को करने से कुंवारी कन्याओं से शुरू हो जाएगी और अगले दिन को मनोनुकूल वर मिलता है। मंगलवार को दोपहर 1 बजकर सौभाग्यवती महिलाओं को 54 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

■ साध्य योगः सुबह से दोपहर 12:09 तक ॥ शुभ योगः 12:09 से दूसरे दिन दोपहर तक रवि योगः मंगलवार को पूरे दिन ■ पूजा मुहूत्रः हरतालिका पूजा में सुबह 5:56 से 8:31 तक शुभ समय है। शाम को प्रदोषकाल में शिव-पार्वती की पूजा करें। प्रदोषकाल सूर्यास्त से अगली दो घटी यानि 48 मिनट तक माना जाता है।

इस दिन गणेश जी के पूजा बाद भगवान शिव और पार्वती की पूजा करनी चाहिए। देवी पार्वती को चढ़ती है। सुहाग सामग्री: व्रत की शुरुआत एक दिन पहले आधी रात से शुरू होती है। व्रती स्त्रियां निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत में प्रदोष काल में भगवान शिव व देवी पार्वती की पूजा होती है। पूजा में घर में बनाए गए पकवान के अलावा मौसमी फल, मिष्ठान माता पार्वती को चढ़ाना चाहिए। साथ ही आलता, बिंदी, चूड़ियों सहित श्रृंगार की चीजें भी चढ़ाई जाती हैं। पूजा के अंत में हरितालिका तीज व्रत की कथा सुनी जाती है।

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